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1 Mar 2022 · 1 min read

*इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)*

इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)
■■■■■■■■■■■■■■■■
घर का बजट बनाने बैठे
घर के मुखिया दादा ,
बोले “आमदनी कम दिखती
खर्चे दिखते ज्यादा।

अब फिजूल के खर्च न होंगे
सब पर रोक लगेगी ,
होटल, शॉपिंग, मॉल घूमना
आदत हमें ठगेगी।

सब बतलाओ खर्च कौन से
घर में बहुत जरूरी”
बच्चे बोले”इन्टरनेट का
पैक आज मजबूरी ”
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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