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24 Feb 2022 · 1 min read

यह तो नहीं ज़िन्दगी!

यह तो नहीं जिन्दगी !

बोझिल सांसे
हर धडकन पर बेबसी
यह तो नहीं जिन्दगी !

दलदल में
रेंगती पेट के बल
घुंट-घुंट के
जीने को छ्ट्पटाती हर पल
डरावनी चुप्पी
छाई रही मरघट सी
यह तो नहीं जिन्दगी !

कब्र से
सिर उठाती लालसायें
मृत्यु से पहले
लग गयीं कौओं की सभायें
उम्र भर सुलगी
होठों की हँसी
यह तो नहीं जिन्दगी !

… अवधेश सिन्हा

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