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24 Feb 2022 · 1 min read

बवंडर

देख बवंडर जन जनित, हिय में उठती कूक,
विश्व झेलता युद्ध तब, समझ करे जब चूक।।

कूटनीति की आड़ में, दुनिया बनती भाड़।
जनमानस सह भूनता, दुष्ट धरा के हाड़।।

©सतविन्द्र कुमार राणा ‘बाल’

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