Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2022 · 1 min read

चाहे तो बिना फूलों के रह लें पर

जो कोई आपका साथ न
चाहे
उसका साथ समय रहते और
जल्द से जल्द छोड़ देने में ही
भलाई है
लोग गुजरते वक्त के साथ
मोम से पिघलकर सुधरते नहीं
बल्कि
एक लोहे की छड़ से कठोर होकर
आप जैसे बूढ़े, कमजोर और
लाचार को
समय और आपके बुरे
हालातों का फायदा उठाकर
और पीटते हैं
जो जैसा है वह
सारी उम्र वैसा ही रहेगा
कांटो में उलझे रहने से
बेहतर है कि
चाहे तो बिना फूलों के रह लें
पर
खुद का दामन बचाते हुए
खुद का दिल संभालते हुए
खुद की आत्मा को लहूलुहान
न करते हुए
समय रहते
खुद को सम्मान देते हुए
खुद के लिए
मरने से पहले
थोड़ा सा जी लें।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 251 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all

You may also like these posts

किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
किसी और से नहीं क्या तुमको मोहब्बत
gurudeenverma198
लगन प्रेम की
लगन प्रेम की
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मां के शब्द चित्र
मां के शब्द चित्र
Suryakant Dwivedi
मित्रता
मित्रता
Shashi Mahajan
घर छोड़ के न निकल जाना किसी सफ़र के वास्ते तुम,
घर छोड़ के न निकल जाना किसी सफ़र के वास्ते तुम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी से भी, कैसी भी
किसी से भी, कैसी भी
Dr fauzia Naseem shad
Fight
Fight
AJAY AMITABH SUMAN
आँगन छोटे कर गई,
आँगन छोटे कर गई,
sushil sarna
धनिया
धनिया
Santosh kumar Miri
बिन पानी के मर जायेगा
बिन पानी के मर जायेगा
Madhuri mahakash
जीनो दो मुझे अपने वसूलों पर
जीनो दो मुझे अपने वसूलों पर
goutam shaw
क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में.
क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में.
Heera S
Slvip | Slvip Bingo | Link to Asia Top Casino
Slvip | Slvip Bingo | Link to Asia Top Casino
slvip bingo
ख़ता हुई थी
ख़ता हुई थी
हिमांशु Kulshrestha
अनुरक्ति की बूँदें
अनुरक्ति की बूँदें
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
3538.💐 *पूर्णिका* 💐
3538.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
कहा था न, एक रोज सब आम हो जाता है!
कहा था न, एक रोज सब आम हो जाता है!
पूर्वार्थ
पिछले पन्ने 5
पिछले पन्ने 5
Paras Nath Jha
धनिया
धनिया
उमा झा
■आप बताएं■
■आप बताएं■
*प्रणय प्रभात*
प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
Kanchan Alok Malu
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
दीपक बवेजा सरल
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
मोहब्बत-ए-यज़्दाँ ( ईश्वर - प्रेम )
मोहब्बत-ए-यज़्दाँ ( ईश्वर - प्रेम )
Shyam Sundar Subramanian
*You Reap What You Sow*
*You Reap What You Sow*
Veneeta Narula
” अनोखा रिश्ता “
” अनोखा रिश्ता “
ज्योति
हमारी वफा
हमारी वफा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेटा पढ़ाओ
बेटा पढ़ाओ
Deepali Kalra
परछाई उजली लगती है।
परछाई उजली लगती है।
Kumar Kalhans
Loading...