Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Feb 2022 · 1 min read

तीन दशक से सिसक रहे हैं,किसे बताएं पीर

शब्द कोष में शब्द नहीं,देख लो सीना चीर
रोम रोम में दर्द भरा है, पर्बत सी मेरी पीर
अपनी धरती से निर्वासित, मैं पंडित कश्मीर
उजड़ गई मां मातृभूमि, मेरा घर कश्मीर
पांच लाख को जड़ों से काटा, और चुप रहा बजीर
लुटते रहे घर और अस्मत, कटते रहे शरीर
नहीं कोई सुनने वाला था,मरे हुए थे ज़मीर
इस्लामी कट्टरवाद से मेरी,फूट गई तकदीर
खोया बजूद दरबदर हो गए, सरकारें करतीं रहीं तकरीर
हिंदुस्तानी हिन्दू सोया, और शेरे कश्मीर
तीन दशक से सिसक रहे हैं,किसको बताएं पीर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Loading...