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23 Feb 2022 · 1 min read

जिस्म और रूह भी

फक़्त चार दिन की इस जिंदगानी में,
फ़ानी क़ायनात मेरी क्या होगी ।
मेरा होकर भी जब कुछ नहीं मेरा,
जिस्म और रूह भी मेरी क्या होगी ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
12 Likes · 491 Views
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