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23 Feb 2022 · 1 min read

*दूसरी पारी (गीतिका)*

दूसरी पारी (गीतिका)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(1)
साठ वर्ष का अर्थ नहीं है मरने की तैयारी
चलो शुरू करते हैं अपनी नई दूसरी पारी
(2)
एक बार वृद्धावस्था – यौवन में जंग छिड़ी थी
अनुभव जिसके पास, विजेता बना जवानी हारी
(3)
घर की दीवारें सफेद चूने से क्या पुतवाना
आओ खींचें नीली पीली हरी गुलाबी धारी
(4)
पहले दादा – दादी की गोदी में जो खेले थे
अब उनकी गोदी में उनके. पोता – पोती प्यारी
(5)
जीना है सौ साल अगर तो ,इतनी बात समझ लो
कहो जीभ से करना ज्यादा नहीं स्वाद से यारी
(6)
जितनी उम्र विधाता तूने दी है तेरी मर्जी
दिया और जो नहीं ,सभी के लिए बहुत आभारी
(7)
नदिया ने सागर बनने की यात्रा तो तय कर ली
मगर सफर के इस पड़ाव पर पाया जल को खारी
(8)
गिनती शुरु एक से होकर फिर सौ तक चलती है
मगर उम्र की गिनती अस्सी से ऊपर की भारी
(9)
बेचा पुश्तैनी मकान , फिर छोड़ा शहर पुराना
जिनके बच्चे काबिल निकले, उनकी यह दुश्वारी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार ,सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451

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