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19 Feb 2022 · 1 min read

लोकतंत्र का मंदिर

लोकतंत्र का मंदिर
दिनांक…23/01/2022
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर हमें बचाना है।
जन- जन को आवाज लगाकर,बस इतना समझाना है
जिंदा है गर लोकतंत्र तो, जिंदा अधिकार रहें
अपनी मुठ्ठी में यारो ,फिर अपनी सरकार रहे
इसे बचाने खातिर सबको, बिगुल बजाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है…..

वीर शहीदों के खून से, सींचा गया ये तंत्र है
मिल जुलकर सब साथ रहेंगे,ऐसा इसका मंत्र है
संविधान की एक एक धारा ,मिलकर आज सुनाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है……

बाबा साहेब आंबेडकर ने, लिख डाला संविधान में
सबको है अधिकार समान, मेरे देश महान में
नेताओं के चंगुल से,हमको इसे छुड़ाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है…..

आंखें खोलो सच को देखो, और पढ़ो इतिहास अमर
इसे बचाने खातिर झेले, हमने देखो कई समर
आज फिर इस लोकतंत्र का, मिलकर गान सुनाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है….

नेताओं से खतरा इसको,देखो कैसे बढा हुआ
रोज़ अकेले संसद रोता, लेकर के अरमान बड़ा
संविधान संग इस संसद को, हमको ही महकाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है…

“सागर” तुम आवाज उठाओ, लोक तंत्र ये कहता है
देश सुरक्षित तब तक मानों,जब तक जिंदा रहता है
अम्बेडकर के सपनों का, भारत देश बनाना है
लोकतंत्र के इस मंदिर को, मिलकर आज बचाना है..!!
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ.नरेश “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित
9149087291

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