मुबारक हो (गीतिका)
मुबारक हो (गीतिका)
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(1)
मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो
मौहब्बत से भरी दुनिया जहाँ तक हो
(2)
दिलों में प्यार का लो बज उठा जादू
भरा फूलों से अब हर पेड़ लकदक हो
(3)
ये ऋतुरानी वसंती आज आई है
झुका बाकी सभी ऋतुओं का मस्तक हो
(4)
अगर आया है मौसम प्यार का तो फिर
दिलों में प्यार की सब के ही दस्तक हो
(5)
महीने-दिन को वासंती नहीं कहते
जरूरी है कि दिल में कोई धकधक हो
(6)
मौहब्बत जब बना ही दी है कुदरत ने
मौहब्बत का तो फिर हर एक को हक हो
(7)
प्यार का कोई सुनिश्चित पथ नहीं होता
यह किसे मालूम किससे कब अचानक हो
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रचयिता : रविप्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) मोबाइल 9997615451