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13 Feb 2022 · 1 min read

प्रारब्ध

मानव जीवन सुख और दुःख के परस्पर चरणों से भरा है, और प्रत्येक चरण का दूसरे पर प्रभाव होता है, ऐसे चरणों का विभिन्न अंतराल , विषय के प्रारब्ध पर निर्भर करता है, जिसका मार्ग निश्चित है , जो कभी नही बदला जा सकता।

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