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12 Feb 2022 · 1 min read

अपना नज़र नहीं आये

कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
दिल तसल्ली को जब तरस जाए ।।
भीड़ भी हो बेपनाह अपनों की ।
और कोई अपना नज़र नहीं आये ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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