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11 Feb 2022 · 1 min read

मुक्तक

लफ्ज़ भी दर्द कहाँ कह पाते ,
दिल के ज़ख्म नज़र ना आते ,
क्यूँ जिंदगी उस मोड़ पे लाई
जहाँ मरते ना ज़िंदा रह पाते

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