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9 Feb 2022 · 1 min read

जनता भी याद रखती है...

नेता अब सभी परोस रहे हैं

आंकड़ों के कुरकुरे बताशे

मगर जनता भी याद रखती

है अस्मिता से जुड़े तमाशे

जनता ही जनार्दन है शायद

इस सत्य को गए सब भूल

जनता जो रूठी तो दिग्गजों

को भी फांकनी पड़ती धूल

वायदों की भूल भूलैया से

जब जनता जाती है उकता

तो सियासी दलों को अर्श से

फर्श पर पटक देती है बिखरा

इस चुनाव में जरूर दिखेगा

धरतीपुत्रों का दिली आक्रोश

राजनीति ने जिन्हें 13 माह तक

बनाए रखा देश में ही खानाबदोश

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