बुद्ध बन
युद्ध नहीं, तू बुद्ध बन
धृणा नहीं, तू स्नेह बन
तृष्णा नहीं, तू जल बन
असत्य नहीं, तू सत्य बन
अनुचित नहीं, तू उचित बन
अशांति नहीं, तू शांति बन
अशक्त नहीं, तू सशक्त बन
अविश्वास नहीं, तू विश्वास बन
हिंसक नहीं, तू अहिंसक बन
स्वार्थी नहीं, तू सेवार्थी बन
पापी नहीं, तू दयालु बन
पीड़ा नहीं, तू दवा बन
दरीद्र नहीं, तू दानी बन
भक्षक नहीं, तू रक्षक बन
विध्वंसक नहीं, तू सहारा बन
कठोर नहीं, तू हृदय परिवर्तन बन
मानव नहीं, तू मानवता बन
– © शेखर खराड़ी
तिथि- ९/२/२०२२, फेब्रुअरी