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8 Feb 2022 · 1 min read

कामकाजी हो गयी

देखिए तो प्रेम में भी सौदेबाजी हो गयी
वो जो राजी हो गया तो मैं भी राजी हो गयी

यह अजब ही खेल था जब हारना अच्छा लगा।
वो भी हारे मैं भी दिल से दिल की बाजी हो गयी।।

तन्हा तन्हा जिंदगानी और दिल गमगीन था।
मिल गया वो तबसे मैं कुछ खुशमिजाजी हो गयी।

डाल पर पंछी लड़ाएं चोंच से जब चोंच को।
यह हँसी मंज़र दिखा तो याद ताजी हो गयी।।

इश्क में चाहत,शरारत औ बगाबत खूब की।
छोड़कर सब ज्योति यारों कामकाजी हो गयी।।

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

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