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5 Feb 2022 · 1 min read

रब ने जब मुझको नवाजा

2122 2122 2122 212

रब ने जब मुझको नवाजा प्रेम की सौगात से
डर नहीं लगता मुझे अब दुनिया के हालात से

शुक्रिया रब शुक्रिया रब शुक्रिया रब शुक्रिया
खुशनसीबी है मेरी बढ़कर दिया औकात से

मेरे दिल में तुम ही तुम यह सोचकर खामोश हूँ
राज सारे खुल न जाएं बस जरा सी बात से

धड़कनें बढ़ने लगी तेरी छुअन से साजना
देखिए मैं मर न जाऊँ अब ह्रदय आघात से

आके तेरे बाजुओं में यूँ सिमटती थी कभी
होश आया ही नहीं फिर उन हँसी लम्हात से

प्यार में सब कुछ लुटा दूँगी तुम्हारे वास्ते ।
पर कभी मत खेलना हरगिज मेरे जज्बात से।

बिन तुम्हारे जी रही थी मैं सनम किस हाल में।
पूछ लेना पुष्प पक्षी और डाली पात से।।

गर यकीं अब भी नहीं है तुमको मेरे प्यार पर।
ज्योति फिर कुछ फायदा है ही नहीं इस्बात से।।

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