तस्वीरें कभी सच कहां बोलती हैं
तस्वीरों से खुशी झलकती
दिखती है पर
तस्वीरें कभी सच कहां बोलती हैं
यह रंगीन दिखती हैं पर
होती हैं एक फोटो की निगेटिव की तरह ही
श्वेत और श्याम
तस्वीर में जो बंदा मुस्कुराता दिख रहा है
वह दरअसल दूसरों को रुलाने वाला और
खुद भी जार जार रोने वालों में से है
यह जिन रिश्तों के बीच लग रहा
खुश
असल जिंदगी में उन्ही रिश्तों को
चोट पहुंचाता है
उनकी भावनाओं से खेलता है
उन्हें तकलीफ पहुंचाता है
दूर से दिखती हर चमकती चीज
सोना नहीं होती
पास जाकर कभी आजमाकर देखना
पत्थर होती है
फूल खुद के लिए कोमल होता है लेकिन
कई बार दूसरों को कांटा चुभाने में जरा
नहीं हिचकता
जिन्हें कोई भाव नहीं दिया जाना चाहिए
लोग अक्सर उन्हें आसमान पर बिठाते हैं
और
जिन्हें पूजना चाहिए एक भगवान सा
उन्हें पत्थर मार मार कर अपनी जिंदगी से
भगाते हैं
एक इंसान होता है और उसके
रूप अनेक
तस्वीर केवल किसी के चेहरे की
भाव भंगिमाओं भर को
दिखा सकती है
होठों पर फैली किसी की
मुस्कुराहट को
किसी के मन के भावों को
पढ़ने का भी कोई कैमरा
बने या
कोई जरिया हो तो
बात बने।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001