Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2022 · 1 min read

बजट की यही सफलता 【कुंडलिया】

बजट की यही सफलता 【कुंडलिया】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लादा कब कोई गया ,नया टैक्स अभिशाप
यह उपलब्धि विशेष क्या ,कम अपने में आप
कम अपने में आप ,काल कोरोना चलता
मुफ्त लगी वैक्सीन ,बजट की यही सफलता
कहते रवि कविराय ,चाह मत करिए ज्यादा
हुई गनीमत बंधु ,टैक्स कब नूतन लादा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद
Chitra Bisht
"शमा और परवाना"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
4727.*पूर्णिका*
4727.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
ग़ज़ल (गुलों से ले आना महक तुम चुरा कर
डॉक्टर रागिनी
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
Rituraj shivem verma
बरखा रानी
बरखा रानी
डिजेन्द्र कुर्रे
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Madhu Gupta "अपराजिता"
आव रे चिरैया
आव रे चिरैया
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम की इंतहा
प्रेम की इंतहा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
अंडरस्टैंडिंग मुहम्मद — संक्षिप्त परिचय
अंडरस्टैंडिंग मुहम्मद — संक्षिप्त परिचय
Abia Ansari
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
कहां चले गए तुम मुझे अकेला छोड़कर,
Jyoti Roshni
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
श्रीराम चाहिए
श्रीराम चाहिए
Ashok Sharma
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मौन व्रत तोड़ दूंगा
मौन व्रत तोड़ दूंगा
Sudhir srivastava
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
Manju sagar
विनम्रता ही व्यक्तित्व में निखार लाता है,
विनम्रता ही व्यक्तित्व में निखार लाता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आस्था के फूल
आस्था के फूल
Dr.Priya Soni Khare
आजकल की पीढ़ी अकड़ को एटीट्यूड समझती है
आजकल की पीढ़ी अकड़ को एटीट्यूड समझती है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ (गीत)*
*हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ (गीत)*
Ravi Prakash
तुम आ न सके
तुम आ न सके
Ghanshyam Poddar
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
रचना का नाम - दो दिन दो पाठ
रचना का नाम - दो दिन दो पाठ
Babiya khatoon
ସେହି ଲୋକମାନେ
ସେହି ଲୋକମାନେ
Otteri Selvakumar
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
कलम का वरदान
कलम का वरदान
Indu Nandal
"दिवाली यानि दीपों का त्योहार"
Lohit Tamta
Loading...