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30 Jan 2022 · 1 min read

कमाल इश्क़ का

शीर्षक ….. ” कमाल इश्क़ का ”

इश्क में तेरे ग़ुम हूं मैं,

ख़ामोश और गुमसुम हूं मैं ।

नाम से तेरे इश्क मुकम्मल,

बिन तेरे गुमनाम हूं मैं ।।

तुमसे मोहब्बत की थी मैंने,

तुमको ही बस चाहा था ।

दुनिया की इस भीड़ में मैंने,

बस अपना तुमको माना था ।।

तन्हाइयों के ये स्याह अंधेरे ,

हर दम बढ़ते जाते हैं ।

जिंदा है कहने को बस हम,

पल पल मरते जाते हैं ।।

© डॉ वासिफ क़ाज़ी इंदौर
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 ,इकबाल कालोनी ,अहिल्या पल्टन
इंदौर

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