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25 Jan 2022 · 1 min read

तोड़ो नहीं जोड़ो

जात पात पर भड़काने बालो
अगड़े पिछड़े पर लड़वाने बालों
डिजाइनर खबरें गढ़ने बालों
विदेशी चंदा खाने बालों
अभिव्यक्ति के नाम से
विष वमन करने बालों
धर्म जाति का भाड़ चलाने वालों
समाज को अब और ना बांटो
नफरत नहीं, प्रेम भी बांटो
वोट की फसलें अब ना काटो
बांट रहे साहित्य संस्कृति
करता हूं विनम्र यह विनती
मुख से जहर और न उगलो
द्वेष बांट रहे हो किसको?
कमजोर कर रहे हो किसको?
क्यों तोड़ रहे हो तुम समाज को?
हो सके तो जन-जन को जोड़ो
देश की एकता अखंडता ना तोड़ो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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