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24 Jan 2022 · 2 min read

घर बेच दूंगा (नाटक)*

घर बेच दूंगा (नाटक)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
पत्नी (अपने पति से) : सुनो जी !
पति : सुनाओ भाग्यवान !
पत्नी : पोता खाने के लिए रसगुल्ला मांग रहा है । तुम कहो तो दे दूँ ?
पति : कदापि नहीं । मुन्ने को बुखार है। रसगुल्ला नुकसान करेगा । मैं कदापि नहीं दूंगा।
पत्नी : सोच लो ! कल को घर के मुखिया का चुनाव होने वाला है । पाँच वोटरों में से एक वोट मुन्ना का भी है । तुम्हें चुनाव जीतना है या नहीं ?
पति (घबराकर) : अरे अरे ! मुझे तो हर हाल में चुनाव जीतना है । मुन्ने को एक क्या चार रसगुल्ले देने का वायदा कर दो।
×××××××××××××××
पत्नी : सुनो जी !
पति : कहो भाग्यवान ! अब क्या बात है ?
पत्नी : बहू हीरे का हार मांग रही है ।
दस लाख रुपए का पसंद किया है । दिलवा दो ।
पति : हर्गिज नहीं ! हमारे पास रुपए कहां है ?
पत्नी : सोच लो ! घर के मुखिया का चुनाव हार जाओगे ।
पति (घबराकर) : नहीं नहीं ! मुझे चुनाव नहीं हारना है । मुझे घर का मुखिया अवश्य बनना है । हीरे का हार अवश्य आएगा । वायदा कर दो।
××××××××××××××××
पत्नी (पति से) : सुनो जी !
पति : कहो भाग्यवान ! अब क्या कह रही हो ?
पत्नी : बेटा भी बढ़िया-सी कार की जिद लिए हुए हैं । कहता है ,चालीस लाख की पसंद आई है । दिलवा दो ।
पति : क्या पैसे पेड़ पर लगते हैं ? कहां से आएंगे इतने पैसे ? मैं कार नहीं दिलवा सकता ।
पत्नी : सोच लो ! घर के मुखिया के चुनाव में जीतना है या नहीं ? एक वोट बेटे का भी है ।
पति :( घबराकर ) ठीक है ! उसको भी चालीस लाख की कार दिलवा दूंगा । मुझे हर हालत में घर के मुखिया का चुनाव जीतना है ।
××××××××××××
पत्नी : सुनो जी !
पति : भाग्यवान अब तो सारे वोटरों को संतुष्ट किया जा चुका है । अब तो सर्वसम्मति से मैं घर का मुखिया क्यों नहीं चुना जाऊंगा ?
पत्नी : ऐसे कैसे चुन जाओगे ? मेरे वोट की भी तो कोई कीमत होती है ?
पति :( घबराकर) तो क्या तुम्हारी भी कोई मांग है ?
पत्नी : क्यों नहीं होगी ? चुनाव से ऐन पहले ही तो मांग पूरी करने का समय आता है ? न शादी में तुमने सोने की तगड़ी चढ़ाई, न शादी के बाद कभी सोने की तगड़ी बनवाई । अब तो तुम्हें घर के मुखिया का वोट तभी दूंगी ,जब तुम मुझे सोने की तगड़ी बनवा कर दोगे ।
पति :: हे भगवान ! पैसे कहां से आएंगे ? तुम तो कम से कम घर की स्थिति को समझने की कोशिश करो ?
पत्नी : मुझे कुछ नहीं सुनना। सोने की तगड़ी बनवा कर दोगे ,तभी मेरा वोट तुम्हें मिलेगा ।
पति (घबराकर) : ठीक है ! ठीक है ! तुम्हें भी सोने की तगड़ी बनवा कर दे दूंगा । अब तो मुझे वोट दोगी ?
पत्नी (खुश होकर) : अब तो मेरा वोट तुमको ही जाएगा। लेकिन यह तो बताओ ,यह सारे वायदे तुम कैसे पूरे करोगे ?
पति (शांत भाव से) : घर बेचकर करूंगा ।
—————————————————-
नाटक समाप्त
————————————————–
लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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