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23 Jan 2022 · 1 min read

क्या मिलेगा आपको तकरार से

देखना है देखिए जी प्यार से //
क्या मिलेगा आपको तकरार से //१

खून ही दुश्मन बना है खून का,
क्या शिकायत अब करूँ संसार से //२

दल-बदल करता है जो भी स्वार्थ बस,
मांगता है वोट किस अधिकार से //३

प्यार तो करता हूँ बेशक आपसे,
डर रहा हूँ सिर्फ मैं इजहार से //४

झूठ लगती हर खबर पढ़ कर मुझे,
उठ गया विश्वास अब अख़बार से //५

संगमरमर सा बदन मुख चांँद सा,
भोर की लाली दिखे रुखसार से //६

जेब खाली है मगर बेगम कहें,
ओठलाली ‌ लाइए बाजार से //७

प्रेम की भाषा कोई समझे नहीं,
भूत भी डरता अगर तो मार से।

मिट गया जो भी जुदा जड़ से हुआ,
जुड़ के रहना ‘सूर्य’ तुम आधार से //९

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

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