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22 Jan 2022 · 1 min read

अकीदा।

तन्हा जीने की सोचता हूं,
तो कौन सा गुनाह करता हूँ।

मत करो बातें मोहब्बत की,
मैं इश्क़ में अकीदा ना रखता हूँ।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

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