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19 Jan 2022 · 1 min read

मैं खुद से ही खफा हूं ..

जाने जिस बात से मैं खुद से खफा हूं ,
यूं लगे मैं अपनी जिंदगी से खफा हूं ।

कभी कोई कश्मकश दीवाना बनाए मुझे
ज़हन में उठने वाले सवालों से खफा हूं।

या कोई अरमान सताए या जुस्तजू कोई ,
मैं अपने टूटे हुए सपनों से भी खफा हूं ।

जिंदगी के सफर पर चलते हुए अचानक ,
रूबरू हो जाने वाली तकदीर से खफा हूं ।

जो बातें या चीजें हमे नागवार गुजरा करे ,
फिर भी बर्दाश्त करे खामोशी से खफा हूं ।

जमाना दीवाना समझता है तो समझा करे ,
मैं तो उनकी बेदिली से भी बहुत खफा हूं ।

जिंदगी को सजा के रूप में हमें सौंप कर ,
खुद जो हो गई सुरखुरू इस कज़ा से खफा हूं ।

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