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12 Jan 2022 · 1 min read

शिकायत है

तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है
जाने कौन सा माजरा है, नहीं कोई अदावत है

रूठे हुए हैं दोनों, किसी बात को लेकर के
दिल से तो हुआ है नहीं, शब्दों से खिलाफत है
तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है

तूँ दोष मेरा देगा,मैं दोष तेरा दूंगा
बस सब कुछ सच कहना,इतनी सी चाहत है
तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है

मुजरिम तो बनूंगा मैं, निर्दोष बनोगे तुम
हम कर भी क्या लेंगे, ये तो तुम्हारी अदालत है
तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है

हर दोष हमारे सिर,आता ही रहता है
कुछ मेरी नजाकत है, कुछ तेरी नजाकत है
तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है

तूँ खिलाफ खड़ा मेरे, पर मेरी ही करता है
जरा इतना बता दे मुझे, ये कैसी खिलाफत है
तुझे मुझसे शिकायत है,मुझे तुझसे शिकायत है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
गोरखपुर उ. प्र.
9793082918

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