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12 Jan 2022 · 1 min read

'ग़जल'

गई शान है यहाँ पर ईमान तो अभी बाकी है,
दिल में कुछ करने का अरमान तो अभी बाकी है।
मोहब्बत में हमें बेफा़ई ही मिली है तो क्या हुआ?
वतन के गद्दारों से मेरी लड़ाई तो अभी बाकी है।
ये जाँ तो यूँ भी कर दी थी नाम उसके पहले ही,
अय्यारों से लड़ने को जिस्म तो अभी बाकी है।
मिट भी गए पाँवों के निशां ज़मी से तो ग़म नहीं,
हाँ सितारों पे नाम लिखवाना तो अभी बाकी है।
मुश्किलों को बेदखल जिन्दगी से करना है होगा,
नाम दिल से किसी का मिटाना तो अभी बाकी है।

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