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10 Jan 2022 · 1 min read

राजनीति की गरमी।

कड़ाके की ठंढ है।
दिन रात सर्द है।

आग ही मर्ज है।
राजनीति ही आग है।

सरदी में कोरोना है।
राजनीति से भगाना है।

सब कुछ बंद है।
खुला तो मंच है।

मौसम तो ठंढ है।
प्रजातंत्र की जंग है।

सरदी में गरमी है ।
रामा राजनीति की गरमी है।

स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

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