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10 Jan 2022 · 1 min read

कहां हैं

कहाँ हैं

मेरे अपने गाँव कहाँ हैं
पीपल वट की छाँव कहाँ हैं

कैसा आया तूफ़ां जगत में
कोई बताये वह पाँव कहाँ हैं…

उतकल कल की ध्वनि कहाँ हैं
मंदिर की जलती वो धुनि कहाँ हैं

कहाँ खो गये इस जग के खग
मेरी देहली की पथ पीर कहाँ हैं…

संस्कारों की पोटली कहाँ हैं
नींव की वो सम तली कहाँ हैं

माँ की बनाई चूल्हे की रोटी
बापू की वों प्यारी डांट कहाँ हैं…

सोचूँ मैं वो बचपन की नाव कहाँ हैं

मेरे अपने गाँव कहाँ हैं
पीपल वट की छाँव कहाँ है…

कहाँ है गौमाता सेवा भाव इकाई
तब समक्ष थी जो वो तस्वीर कहाँ है

खलीहानों में वीरानों की शाम क्यों
कोई बताओ जोशीले उन्माद कहाँ हैं…

मेरे अपने गाँव कहाँ हैं
पीपल वट की छाँव कहाँ है…

संतोष जोशी
गरुड़,बागेश्वर
उत्तराखंड

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