Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2022 · 3 min read

बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)

बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
अखबार के दफ्तर में मेरा जिम्मा या तो रिपोर्ट लिखने का रहता था या इंटरव्यू और यदा-कदा पुस्तक समीक्षाओं का होता था। एक बार मेरे पास एक कविता संग्रह आया और मुझे बताया गया कि तुम्हें इसकी समीक्षा लिखनी है ।खुद बॉस ने बुलाया और कहा कि मैंने सुना है कि दफ्तर में तुम सबसे अच्छी समीक्षा लिखते हो । पहले तो मैं बहुत खुश हुआ कि चलो मेरी तारीफ हो रही है लेकिन यह तो बाद में पता चला कि बकरा कटने वाला है , जब बॉस ने बताया कि यह कविता संग्रह मेरी पत्नी का लिखा हुआ है और इसकी बहुत अच्छी समीक्षा आनी चाहिए।
मैं जानता था कि कविता संग्रह कूड़ा होगा, बकवास होगा और इस असार संसार में जो कुछ भी सार- रहित है, वह सब कुछ बॉस की पत्नी की पुस्तक में होगा। खैर मैं पुस्तक को सर माथे पर लगा कर बॉस के दफ्तर से उठा और मेरे माथे पर परेशानी के चिन्ह दिख रहे थे । सबसे पहले तो मैं यह विचार करने लगा कि दफ्तर में आखिर किसने मुझ से जन्म- जन्मांतरों की दुश्मनी निकाली है, जो मुझे बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा का कार्य दिया गया।
खैर जो भी हो ,मैं घर आया ।पुस्तक पढ़ी और जैसा कि मैं समझता था पुस्तक में प्रशंसा करने योग्य कुछ भी नहीं था। आप समझ सकते हैं बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा करनी है । पुस्तक कूड़ा है और उसे हम कूड़ा बता भी नहीं सकते ।आखिर दफ्तर में नौकरी जो करनी है ।अगले दिन मुंह दिखाना है ।अब क्या किया जाए… सांचे से तो जग नहीं और झूठे मिले न राम ….पुरानी कहावत सामने आ गई। इधर खाई उधर कुँआ.. अजीब मुश्किल.। हमने अपना पुराना नुस्खा निकाला और पुस्तक समीक्षा लिखी। आप भी आनंद लीजिए :-
“उभरती हुई कवयित्री का यह काव्य संकलन इस दृष्टि से प्रशंसा के योग्य है कि कवयित्री में अपार संभावनाएं भविष्य के लिए जान पड़ती हैं। कविता लिखने का जो उत्साह कवयित्री में है ,उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता । जितनी अधिक संख्या में, जितने कम समय में कविताओं के लिए कवयित्री ने काम किया है, वह अपने आप में एक मिसाल है । कम ही लोग इतनी कम आयु में कविताएं लिख पाते हैं। उसको प्रकाशित करके जन-जन तक पहुंचाने का काम जो कवयित्री ने अपने हाथ में ले लिया है ,वह प्रशंसा के योग्य है । कम ही लोग कविताएं लिखने में रुचि रखते हैं और उनमें से थोड़े ही लोग अपने धन को खर्च करके उन कविताओं को पुस्तक रूप में प्रकाशित करा पाते हैं ।अपने व्यस्त जीवन में घर- गृहस्थी तथा परिवार से समय निकाल कर कविताओं को एक बार लिख कर कवयित्री में समाज पर जो उपकार किया है , वह प्रशंसा के योग्य है । मैं जानता हूं कि उन कविताओं को एक बार लिखने के बाद दोबारा उन पर दृष्टिपात करने के लिए कवयित्री को समय कहां मिला होगा ? लेकिन व्यस्तताओं के बाद भी कविताओं को लगातार लिखते रहना और उनका चाहे जैसा भी संकलन आते रहना, यह एक बड़े ही आत्मबल की बात होती है । कविता संग्रह में अच्छाइयां और गुण स्थान स्थान पर बिखरे हुए हैं , सहृदय व्यक्ति को वह ढूंढने से अवश्य ही मिल जाएंगे। यह तो व्यक्ति की दृष्टि पर निर्भर करता है कि वह उनमें से अच्छे भाव ग्रहण करे , उनकी प्रशंसा करे या फिर केवल लय पर ही अपनी दृष्टि को टिका दे और मात्राओं के दोष गिनता रहे । मैं एक बार पुनः कवयित्री को उनके कविता संग्रह के प्रकाशन पर बधाई देता हूं । मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।”
*******************************
लेखक :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451

2 Likes · 1 Comment · 508 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

68 Game Bài hay 68GB là cổng game bài uy tín số 1 tại Việt N
68 Game Bài hay 68GB là cổng game bài uy tín số 1 tại Việt N
68 Game Bài
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
गूंगे दे आवाज
गूंगे दे आवाज
RAMESH SHARMA
कृषक-किशोरी
कृषक-किशोरी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जय माँ शैलपुत्री
जय माँ शैलपुत्री
©️ दामिनी नारायण सिंह
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
*सदियों से सुख-दुख के मौसम, इस धरती पर आते हैं (हिंदी गजल)*
*सदियों से सुख-दुख के मौसम, इस धरती पर आते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
शिकायत करें भी तो किससे करें हम ?
Manju sagar
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
बडी बहन
बडी बहन
Ruchi Sharma
प्रपात.....
प्रपात.....
sushil sarna
ठंडी हवा दिसंबर की।
ठंडी हवा दिसंबर की।
लक्ष्मी सिंह
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा।
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शीर्षक - आपरेशन सिन्दूर ।
शीर्षक - आपरेशन सिन्दूर ।
shashisingh7232
हम भी कैसे....
हम भी कैसे....
Laxmi Narayan Gupta
*माँ सरस्वती सत्यधाम हैं*
*माँ सरस्वती सत्यधाम हैं*
Rambali Mishra
* खूब खिलती है *
* खूब खिलती है *
surenderpal vaidya
🙅मौजूदा दौर में...।
🙅मौजूदा दौर में...।
*प्रणय प्रभात*
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
Bhupendra Rawat
तरक्की से तकलीफ
तरक्की से तकलीफ
शेखर सिंह
3968.💐 *पूर्णिका* 💐
3968.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वो पहला मिलन.
वो पहला मिलन.
हिमांशु Kulshrestha
कुछ ना लाया
कुछ ना लाया
भरत कुमार सोलंकी
विनाश की कगार पर खड़ा मानव
विनाश की कगार पर खड़ा मानव
Chitra Bisht
ईश्वर
ईश्वर
Neeraj Kumar Agarwal
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
!! वैश्विक हिंदी !!
!! वैश्विक हिंदी !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...