एक कश्मकश
क्या भेजूं तुम्हें पैगाम ,
बड़ी उलझन में हूं मैं।
हर लफ्ज़ पर कलम ,
ठहर जाती है ।
अजीब से ख्यालों में ,
गुम हूं मैं ।
नजरों के सामने जो अक्स है ,
उसे केनवास पर न उतार पाने ,
की वजह से परेशान हूं मैं।
अब तुम्हीं बताओ ना ऐसे हाल में,
करूं तो क्या करूं मैं।