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31 Dec 2021 · 1 min read

जलने दो

०००००००००
अब जलने दो
०००००००००
(आधार छंद- वातायमा, मापनीयुक्त मात्रिक, 16 मात्रा , समांत-अलने , पदांत- दो ।
मापनी- गागाल लगागा गागागा
०००
लो सूर्य ढला तो ढलने दो ।
कुछ दीप दरों पर जलने दो ।‌।1

हिम से मन में तुम गलो नहीं ।
यह वक्त बुरा है टलने दो ।।2

उम्मीद कभी भी छोड़ो मत।
ये बहरुपिये हैं छलने दो ।।३

जब नींद तुम्हें गहरी आये ।
तो स्वप्न दृगों में पलने दो ।।4

विश्वास न टूटे अंतस का ।
करपृष्ठ मलें वे मलने दो ।।5

है मौन बड़ा ही ताकतवर ।
कुछ शब्द खलें तो खलने दो।।6

यदि ज्योति बुझे बदलो बाती।
तम को दुनियाँ से चलने दो ।।7
०००
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***

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