Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2021 · 1 min read

धार

फँस गई धार बहते जीवन के
इस दर तो कभी वो दलहीज़
आँखे नम नहीं जो रूकता तन्हा के
लम्हें भी याद आती वो इतिवृत्त के

लौट चलता सदा बस यह सोचकर
कभी तन्हा दो चार होंगी लम्हें के
लेकिन ठिठुर – ठिठुर कर जी लेता मसोसकर
थी आँखे चार होनी किन्तु हुई नहीं

सोचता कभी एक बार एक वक्त
स्वप्न का जगा हूँ कबसे , फिर – फिर से
बूँद – बूँद में समत्व अंकुर – सी कोमल
गागर में सागर – सी भर – भर दूँ जहाँ

लेकिन वक्त तो स्वयंलय , करती कहाँ ईक्षा
जो है लीन में वो ही प्रभा तिरती इक्ष में
बँधे मैं स्वयंभू खल के विहीन मैं स्व के
जलती बाट बार – बार क्रन्दन करती मेरी आह

बीत गई अब बेला मेरे तन आँगन की
कब पदचिन्ह् भी लौट चलेगी पंचभूत में
लय भी कहाँ मुझमें जो देगी भी एक पैगाम
तरस गया , तड़प अब देखूँ भी कहाँ ऊर्ध्वंग तस्वीर ?

शब्दार्थ

ईक्षा :- प्रत्याशा
इक्ष :- अनन्त

Language: Hindi
1 Like · 369 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
गूॅंज
गूॅंज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
खामोशी
खामोशी
Sangeeta Beniwal
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
आकाश महेशपुरी
माया - गीत
माया - गीत
Ram kishor Pathak
मुझको तुम परियों की रानी लगती हो
मुझको तुम परियों की रानी लगती हो
Dr Archana Gupta
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
आजादी(बाल कविता)
आजादी(बाल कविता)
Ravi Prakash
*तू कौन*
*तू कौन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चौपाई छंद
चौपाई छंद
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
Kailash singh
"घर-परिवार"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
तूॅं कविता चोर हो जाओ
तूॅं कविता चोर हो जाओ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय
मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
बारिश की बूंदें जब थिरकतीं,
बारिश की बूंदें जब थिरकतीं,
Ami
इश्क भी बेरोजगारी में होता है साहब,नौकरी लगने के बाद तो रिश्
इश्क भी बेरोजगारी में होता है साहब,नौकरी लगने के बाद तो रिश्
पूर्वार्थ
खूबसूरत सफर हो तुम
खूबसूरत सफर हो तुम
Mamta Rani
वही बस्ती, वही टूटा खिलौना है
वही बस्ती, वही टूटा खिलौना है
sushil yadav
तेजा दर्शन महोत्सव
तेजा दर्शन महोत्सव
Anop Bhambu
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दुविधा
दुविधा
उमा झा
🙅अगर सच्चे हैं आरोप🙅
🙅अगर सच्चे हैं आरोप🙅
*प्रणय प्रभात*
दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
Suryakant Dwivedi
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
दे संगता नू प्यार सतगुरु दे संगता नू प्यार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विनम्र भाव सभी के लिए मन में सदैव हो,पर घनिष्ठता सीमित व्यक्
विनम्र भाव सभी के लिए मन में सदैव हो,पर घनिष्ठता सीमित व्यक्
Paras Nath Jha
!! श्रीकृष्ण बालचरितम !!
!! श्रीकृष्ण बालचरितम !!
Rj Anand Prajapati
रौनक़े कम नहीं हैं दुनिया में ,
रौनक़े कम नहीं हैं दुनिया में ,
Dr fauzia Naseem shad
3234.*पूर्णिका*
3234.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विकल्प
विकल्प
Shashi Mahajan
Loading...