Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2021 · 1 min read

अश्कों का आइना

दिल से तुझे भुलाने की कोशिश की बहुत मगर ,
फिर भी न हटी तेरी तस्वीर मेरी निगाहों से ।
जो उभर आती है बार बार अश्कों के आईने में,
वो भला कैसे मिटेगी हमारी सर्द आहों से ।

Language: Hindi
Tag: शेर
436 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Juhi Grover
नारी
नारी
Arvina
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
Shashi kala vyas
विजय बिजनौरी
विजय बिजनौरी
विजय कुमार अग्रवाल
गुलमोहर के लिए
गुलमोहर के लिए
Akash Agam
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
Priya princess panwar
"क्या कहूँ तुझे"
Dr. Kishan tandon kranti
इस जीवन का क्या मर्म हैं ।
इस जीवन का क्या मर्म हैं ।
एकांत
*खेल खिलौने*
*खेल खिलौने*
Dushyant Kumar
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
मुस्कुराहटें
मुस्कुराहटें
Shyam Sundar Subramanian
शनिवार
शनिवार
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
घर
घर
Dheerja Sharma
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
शेखर सिंह
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
जल संरक्षण
जल संरक्षण
Sudhir srivastava
सिंदूर
सिंदूर
Raj kumar
सोच तो थी,
सोच तो थी,
Yogendra Chaturwedi
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं
तू सीता मेरी मैं तेरा राम हूं
Harinarayan Tanha
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
Rituraj shivem verma
क़त्आ
क़त्आ
*प्रणय प्रभात*
- मोहब्बत का सफर बड़ा ही सुहाना -
- मोहब्बत का सफर बड़ा ही सुहाना -
bharat gehlot
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
दीपक झा रुद्रा
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कमीना विद्वान।
कमीना विद्वान।
Acharya Rama Nand Mandal
अंतर्निहित भय
अंतर्निहित भय
Shashi Mahajan
गुमनाम
गुमनाम
Santosh Shrivastava
जब हमे मिली आजादी
जब हमे मिली आजादी
C S Santoshi
Loading...