सफेद बालों और झुर्रियों पर तो रहम करो ...दानवों !
जमाना कुछ ऐसा अजब आ गया ,
प्रौढ़ और बूढ़ी औरतों को अपने ही ,
नाती पोतों से डर लगने लगा ।
या नाती पोतों की उम्र वाले “बच्चों “से
डर लगने लगा है ।
अब वास्ता वो किसका दें और ,
सुनेगा भी कौन ?
अपने नाती पोते तो धन संपत्ति हेतु ,
केवल जान ले सकते हैं।
मगर नाती पोते की उम्र वाले ,
धन संपत्ति से भी कीमती सम्मान ,
छीन ले जाते हैं।
सफेद बालों और झुर्रियों का भी ,
लिहाज नही करते ।
नजर धुंधली और अक्षम शरीर,
भला अपनी रक्षा कैसे करे ?
उनकी तो आवाज में भी इतना दम ,
नहीं होता ।
की शोर मचा सकें , चिल्ला सकें ।
निस्सहाय अपनी लुटती लाज को ,
बस निस्तब्धता के साथ शून्य भाव लिए,
देख सकती है।
और कुछ के तो अपमान का घूंट पिए ,
प्राण ही चले जाते हैं।
या फिर बेदर्दी से छीन लिए जाते है ।
यह मोबाइल ,लैपटॉप इत्यादि में,
अश्लील वीडियो ,फिल्में देखने की आदि ,
नई पीढ़ी है ,
जिनको उम्र से कोई मतलब नही ।
बस औरत से मतलब है।
चाहे वो बूढी या बच्ची ही क्यों न हो ।
जिनकी कीचड़ से भी गंदी मानसिकता में,
औरत भोग्या है ।
यही बैठा दिया गया है।
आखिर कौन है इस जघन्य अपराधों का जिम्मेदार ?
और ऐसे दानवों को पैदा करने वाला कौन है?
कौन है जो इस हद तक गिर सकता है ?
और किस हद तक गिरने वाला है ?