Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2021 · 1 min read

बदल दो फिर परिवेश कबीरा

बदल दो फिर परिवेश कबीरा।
मिले पुनः सर्वेश कबीरा।

चलो तलाशें फिर मिल-जुल कर,
उन्हें बुला लें मार्ग बदलकर,
मैला दामन श्वेत कबीरा।
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।

चहुँदिशि लुप्त हुआ अपनापन,
जातिवाद से पगा दिखे मन
जन्म तो लो दरवेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।

संत-गुरू चोला बदले हैं
अर्थ रीतियों के धुंधले हैं
फिर से दो संदेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।

अपनों की बातें थोथी हैं
रिश्तों की साँसें छोटी हैं
गढ़ो नया एक देश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।

अब अस्तित्व भी खतरे मेंं है
हर कोई अब सदमें मे है
प्रेम बचा लवलेश कबीरा
बदल दो फिर परिवेश कबीरा।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दो
दो
*प्रणय प्रभात*
ई वी एम (हास्य व्यंग) मानवीकरण
ई वी एम (हास्य व्यंग) मानवीकरण
guru saxena
छलका छलका प्यार
छलका छलका प्यार
Girija Arora
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*चाटुकारिता सीख गए तो, जाओगे दरबारों में (हिंदी गजल)*
*चाटुकारिता सीख गए तो, जाओगे दरबारों में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जिंदगी     बेहया     हो    गई।
जिंदगी बेहया हो गई।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रूहें और इबादतगाहें!
रूहें और इबादतगाहें!
Pradeep Shoree
इतना न बदल जाओ ,
इतना न बदल जाओ ,
Buddha Prakash
देश धरा निज धर्म हित, होते सुत बलिदान।
देश धरा निज धर्म हित, होते सुत बलिदान।
संजय निराला
प्रभु तुम ही याद हो
प्रभु तुम ही याद हो
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
बेसब्री
बेसब्री
PRATIK JANGID
"मनुष्य की प्रवृत्ति समय के साथ बदलना शुभ संकेत है कि हम इक्
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
चोपाई छंद गीत
चोपाई छंद गीत
seema sharma
घरेलू हिंसा और संविधान
घरेलू हिंसा और संविधान
विजय कुमार अग्रवाल
रुख़सारों की सुर्खियाँ,
रुख़सारों की सुर्खियाँ,
sushil sarna
सन्देश खाली
सन्देश खाली
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
शेखर सिंह
आतंकवाद
आतंकवाद
मनोज कर्ण
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
शीर्षक - सच (हमारी सोच)
Neeraj Kumar Agarwal
“चिकनी -चुपड़ी बातें”
“चिकनी -चुपड़ी बातें”
DrLakshman Jha Parimal
* शब्दों की क्या औक़ात ? *
* शब्दों की क्या औक़ात ? *
भूरचन्द जयपाल
‘प्रेम’
‘प्रेम’
Vivek Mishra
प्रेम में सफलता और विफलता (Success and Failure in Love)
प्रेम में सफलता और विफलता (Success and Failure in Love)
Acharya Shilak Ram
3844.💐 *पूर्णिका* 💐
3844.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अपना सब संसार
अपना सब संसार
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"अदा "
Dr. Kishan tandon kranti
मुंहदिम होते जा रहे हैं आजकल रिश्ते,  हर लफ़्ज़ में उलझे हुए
मुंहदिम होते जा रहे हैं आजकल रिश्ते, हर लफ़्ज़ में उलझे हुए
पूर्वार्थ
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
विशाल शुक्ल
थोड़े योगी बनो तुम
थोड़े योगी बनो तुम
योगी कवि मोनू राणा आर्य
Loading...