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14 Dec 2021 · 1 min read

कुदरत का कानून

न तेरा हैं, न मेरा ये तो हैं कुदरत का कानून..!
आंधी आती हैं अकाल पड़ता हैं,
अवकाशी तूफान बरसता हैं,
ये सब उसकी ताकत हैं…!..!
जो में चाहू जो तूम चाहो कहां होता हैं,
होता वही जो उसकी अदालत में तय होता हैं,
सच्चा न्यायाधीस तो पालनहारी हैं,
चलता उसीका फैसला हैं…..!!!
तुम करलो चाहे जितने जतन, करलो आयोजन,
पर अगर उसकी मर्जी नहीं तो बेकार सब मंथन
जन्म के पहले वो लिख देता कैसा होगा जीवन सबका,
फिर… भी सब को वो जीवन भर लगातार उलझाता,
ताकि न भूले कोई अपना कर्म, धर्म, कर्तव्य,
इसिलए तो बांधे ईश्वरने जहाँमें,
अलग अलग सभी बंधन…!!!

Language: Hindi
464 Views
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