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11 Dec 2021 · 1 min read

वतन के ज़ख्म

कितने ज़ख्म भरे हुए है ,
इस घायल वतन के जिस्म पर।
जरा सा कोई छुए भी तो ,
दर्द से कराह उठती है जुबान

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