Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Dec 2021 · 1 min read

अगन, जलन

दोहे

सृजन शब्द अगन – ‌जलन

1-नैन मिलाए रूपसी, अगन लगावे देह।
स्वांग रचाए प्रेम का, झूठा प्रेम का नेह।।

2–जलन हृदय में हो रही, चले न कोई जोर।
भीतर ही घुटती रही , करे न कोई शोर।।

3–प्रीतम झूठा प्रीत का, करता झूठी प्रीत।
पहले यदि मैं जानती, कभी न बनती मीत ।।

4– निसदिन अगन जला रही, बहती अश्रु धार ।
जलन जिया सुलगा रही, सुनता नहीं पुकार ।।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)

Loading...