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9 Dec 2021 · 1 min read

पलायन

वो जा रहा है ….

नैनो में अजस्र अश्रु धारा ,

थका मन ,बोझिल पग लिए ,

कंधे पर संतति और पीठ पर ,

गृहस्थी अपनी का बोझ उठाए ।

अपने संदूकों में सपनों को बंद कर ,

आशाओं /निराशाओं के विचारों में गोते खाते हुए ।

मौत से अपने और स्वजनो को बचाते हुए ,

ज्ञात नहीं ,परंतु यह तो विधाता जाने ,

यह प्रयास कितना सफल होगा ,कितना असफल ,

मगर फिर भी वो जा रहा है निरुदेश्य ,निरुपाय,

बेरोजगार मजदूर शहर से दूर गाँव की ओर ,

तपती सड़कों पर अपने नंगे पैरों के निशान बनाते हुए ।

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