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9 Dec 2021 · 1 min read

यह गद्दारी गवारा नहीं ...

ज़रा सी बात पर तूफान खड़ा कर देते हैं ,

यह वो है जो हाथों में आग लिए फिरते हैं ।

सब्र और सबूरी तो इन में ज़रा सी भी नहीं,

हर वक़्त ये झल्लाए औ बेसब्र ही रहते है ।

जाने कैसा दीवानापन है यह , कैसी वहशत ?

अपनी बेतुकी ज़िद को मनवाने में अड़े रहते हैं ।

अपनी जिम्मेदारिओं और फर्ज़ का पता नहीं ,

यह बस अपने हक़ की ही बात किया करते हैं ।

अपने इस घर (वतन) में इन्हें क्या नहीं मिलता !

फिर जाने क्यों यह गद्दारी पर मजबूर हो जाते हैं .

कहने को तो यह हैं वतन के मुस्तकबिल , वाह !

और जोश -ए -जुनून में इसे तोड़ने की बात करते हैं।

हर वक़्त लबों पर शिकायत और आँखों में अंगारे ,

ऐसे में क्या हम समझौते की उम्मीद कर सकते हैं?

हाँ जी ! ऐसे ही है यह इस सदी के युवा ‘ए अनु’ !

जिस थाली में खाया उसी में नामाकूल छेद करते हैं ।

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