वाह करोना तू तो छा गया ...
अरे वाह रे करोना ! तू तो छा गया रोग जगत में ,
बजता था कभी अपना भी डंका रोग जगत ।
तू जबसे आया मारे डर के लोगों की नींदे उड़ी ,
हम भी कभी चैन चुरा लिया करते थे इस जगत में ।
तू क्या आया के जन -जीवन में सजगता आ गयी ,
हमें लेकर कभी कोई गंभीर न हुआ मनुष्य जगत में ।
अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर सचेत हो गए ,
क्यों न हो तेरी चूक ने खौफ जो फैलाया जगत में ।
मालूम है ना गर की नादानी तो समझो जां से गए ।
चूंकि अब तक दवा इजात ना हो पायी जगत में ।
हमारा क्या है किसी को हमारी कोई परवाह नहीं,
मगर अब अपनी भी पूछ होने लगी तेरी संगत में ।
”मामूली सर्दी-जुकाम नहीं यह करोना,देरी करो न ! ”
कहें सभी जन एक दूजे से ,तू तो वाकई छा गया।