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8 Dec 2021 · 1 min read

वाह करोना तू तो छा गया ...

अरे वाह रे करोना ! तू तो छा गया रोग जगत में ,

बजता था कभी अपना भी डंका रोग जगत ।

तू जबसे आया मारे डर के लोगों की नींदे उड़ी ,

हम भी कभी चैन चुरा लिया करते थे इस जगत में ।

तू क्या आया के जन -जीवन में सजगता आ गयी ,

हमें लेकर कभी कोई गंभीर न हुआ मनुष्य जगत में ।

अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर सचेत हो गए ,

क्यों न हो तेरी चूक ने खौफ जो फैलाया जगत में ।

मालूम है ना गर की नादानी तो समझो जां से गए ।

चूंकि अब तक दवा इजात ना हो पायी जगत में ।

हमारा क्या है किसी को हमारी कोई परवाह नहीं,

मगर अब अपनी भी पूछ होने लगी तेरी संगत में ।

”मामूली सर्दी-जुकाम नहीं यह करोना,देरी करो न ! ”

कहें सभी जन एक दूजे से ,तू तो वाकई छा गया।

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