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29 Nov 2021 · 2 min read

निश्छल मन होता है माँ ।

बड़ा ही निश्छल मन होता है माँ का जल की तरह।
हर रिश्तें मे ही ढल जाती है वह सब रंग की तरह।।1।।

कभी जो आती है मुसीबत उसके बच्चों पर कहीं।
लड़ जाती है माँ जीवन मे सबसे हीे जंग की तरह।।2।।

चाहे कोई भी साथ दे या ना दे इस जीवन में तुम्हारा।
माँ तो साथ देती है तेरा हमेशा तेरे साये संग की तरह।।3।।

अपना सब ही त्याग देती है वह अपने बच्चों के लिए।
माँ होती है इस दुनियाँ में बिल्कुल ही रब की तरह।।4।।

सभी को दिख जाएंगे यकीनन तेरे गुनाह इस वारदात में।
एक माँ ही हैं जो दोष ना देगी तुझे यहाँ सब की तरह।।5।।

सारे रिश्ते छोड़कर चले जाएंगे तेरी मुफलिसी में तुझको।
एक माँ ही है जो तेरा साथ देगी तेरे जिगरी दोस्त की तरह।।6।।

थक जाए जो तू रिश्तें निभाने में कभी आना माँ के पास।
आँचल इसका शज़र है सुकूंन देगा तुझे छाँव की तरह।।7।।

सब कुछ ही बट जाता है भाइयों में घर के बटवारे के वक्त।
एक माँ ही नहीं बटती है बस भाइयों में दौलत की तरह।।8।।

खुदा की खुदाई भी कम पड़ जाए शायद जहां में तेरे लिए।
माँ की ममता कभी कम होती नहीं गहरे समुंदर की तरह।।9।।

वक़्त के साथ रिश्तें भी बदलने लगते है तेरी अमीरी-गरीबी में।
एक माँ का रिश्ता ही नहीं बदलता दुनियाँ में शोहरत की तरह।।10।।

रखना तू हमेशा जीवन में अपनी माँ को हर पल अपने पास।
खुश रहेगा सदा तू एक माँ ही होती नहीं बस गम की तरह।।11।।

इक छोटी सी इल्तिज़ा है मेरी दुनियाँ में तुम सभी से मेरे यारों।
माँ का रखना हमेशा ध्यान अपनी सांसों में धड़कन की तरह।।12।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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