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27 Nov 2021 · 1 min read

नहीं से ये दुनिया, नहीं बनी ।

नहीं से ये दुनिया, नहीं बनी ।
बनी तो, हाँ हूंकार से बनी ।।

नहीं, सोच में लाये है द्वंद l
उपजाए हालतें ठनी ठनी ll

हाँ, सहज लाये खुशियां तरंग l
नहीं, बेचैनी है घनी घनी ll

नहीं से, थप्पड़ रसीद तुरंत l
हाँ से, द्वेष है काटें कन्नी ll

हाँ, सही सही प्यास की जननी l
नहीं से, गलत प्यास है उगनी ll

अरविन्द व्यास “प्यास”

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