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25 Nov 2021 · 1 min read

तो खुदा मिलता नहीं।

बिन कलमा के कोई मुसलमाँ होता नहीं |
अगर ना हो नमाजें तो खुदा मिलता नहीं ||1||

क्यों ढूढता है तू ऐसे उनके मोजीजे को |
ये मोहम्मद का असर है जो दिखता नहीं ||2||

है खुदा के बाद नाम मोहम्मदे रसूल का |
यह वसीला किसी और को मिलता नहीं ||3||

कोई कह दे शिर्क करने वाले काफिरो से |
यह सर खुदा के बाद कहीं झुकता नहीं ||4||

इबादत से मिलती है सुकून-ए-जिंदगी |
फिर तू क्यों खुदा की राह में चलता नहीं ||5||

है तुझे पता ही नहीं मां-बाप के वजूद का |
ये पूंछ उनसे जिन्हें ये साया मिलता नहीं ||6||

असर क्या है कलमें में तू पूंछ ना उससे |
उसे क्या पता जिसे वह कभी पढ़ता नहीं ||7||

मत पाल खुद में खुशफहमियाँ ऐ इन्सान |
गुलामे रसूल का दर्जा सबको मिलता नहीं ||8||

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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