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24 Nov 2021 · 1 min read

दो चार करने की

***दो चार करने की (ग़ज़ल) ***
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दे दो मंजूरी प्यार करने की,
तुम से आँखे दो चार करने की।

अड़ जाती हैं नावें कदम भरते,
सोचो सागर से पार करने की।

मुश्किल होता पल-पल बिताना भी,
जीवन में सोचो कार करने की।

ख्वाबों की कीमत को जरा समझो,
कोशिश सपने साकार करने की।

मनसीरत ने मांगी इजाज़त सुन,
हर्षित लम्हें भरमार करने की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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