Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Nov 2021 · 1 min read

बड़े चालाक हो प्रभु

बड़े चालाक हो मेरे प्रभु
हर गुत्थी सुलझाए रखते हो।
बस हमे ही जीवन मृत्यु के बीच
यूँहीं उलझाए रखते हो।

आदमी को ठोकर के बाद
पथ बोध कराया करते हो।
जब ठोकर देना होता है
तो क्रोध दिलाया करते हो।

सुख दुःख जीवन में ले आकर
समय का ज्ञान कराते हो।
क्या अथाह दुःख देकर के प्रभु
थोड़ा भी पछताते हो।

समय की मार से मानव को
समझाए रखते हो।
बस हमे ही जीवन मृत्यु के बीच
यूँहीं उलझाए रखते हो।

ठोकर पर ठोकर देकर के
प्रभु कैसी दीक्षा देते हो।
समय बिपरीत जब होता है
तो कठिन परीक्षा लेते हो।

तुम्हारे सवालों का जवाब
समझ से परे होता है अक्सर।
तुम तो पूछ लेते हो प्रभु
ऐसे ही सवाल रह – रह कर।

सारे जीवों में मानव को
प्रभु तुमने है बुद्धिमान बनाया।
खेल खेल गए बहुत बड़ा
प्रश्न न कोई आसान बनाया।

हम भी तुम्हारे बालक हैं
अरे थोड़ी सी तो मया करो।
अब बहुत हो चुका सवाल जवाब
इस जीव पर भी दया करो।
– सिद्धार्थ गोरखपुरी

Loading...