तुम आओगे ना !! ...
मुझे आस्तीन के सांपों ने है लपेटा हुआ,
डसते रहते है प्रतिदिन और मेरा लहू पीते है ।
किस किस से मुकाबला करूं और कैसे ?
कुछ घर के ,कुछ बाहर के शत्रु घिरे रहते है ।
ज़ख्म ऐसे दिए है जिनकी कोई दवा नहीं ,
बीमार हूं में और आंखों से अश्क बहते रहते हैं।
हा दुर्भाग्य हा !! विधाता ! जरा मेरी भी सुन ले ,
मेरी करुण पुकार तेरे कान क्यों नही सुनते है ?
मैं हूं भारत ! हां वही भारत ,तेरा आर्यव्रत ,
तूने जहां अवतार लिए थे ,अब यहां शैतान बसते हैं।
शैतान तो तेरे काल में भी पर तूने सबका संहार किया,
मैं कर रहा हूं तेरी प्रतीक्षा देखे! तेरे चरण कब पड़ते है।
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूं प्रभु ! और तब तक करूंगा ।
जब तक के मेरे तन में श्वास विद्यमान रहते है।
तुम आओगे ना प्रभु !! आओगे न !