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18 Nov 2021 · 1 min read

राधिका छंद

राधिका छंद
ताल तीरे खड़ी सखी, रूप अति गोरा।
सुंदर रूप लुभावना, अंग रस घोरा।।
पीत वसन अंग लिपटे, नयन मधुशाला।
यौवन सोमरस सिमटे, कली मधुबाला।।

सर सुंदर पंकज खिले, गगन के साए।
हंस ताल मध्य तैरे,कैसा लुभाए।
है दोनों की कल्पना, मीत मिल जाए।
मीत -प्रीत की चाह में, बात बन जाए।।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

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