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10 Nov 2021 · 1 min read

बगावत

रबर को कितना खींच सकते हो तुम ?
वो तो आखिर में टूट ही जायेगी ।
एक इंसान से कितना काम लोगे तुम?
उसकी हिम्मत भी जवाब दे जायेगी ।
शोषण की भी एक सीमा होती है साहब!!
उस सीमा से आगे बढ़े तो बगावत हो जायेगी ।

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