Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Nov 2021 · 1 min read

नहीं रूठना तुम मेरे सरकार (भक्ति-गीत)

नहीं रूठना तुम मेरे सरकार (भक्ति-गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
जग रूठे तुम नहीं रूठना पर मेरे सरकार

(1)

जब मैं तुम्हें बुलाऊँ तुम दौड़े-दौड़े आ जाना
मेरी कमियों को इंगित कर नखरे नहीं दिखाना
मैं केवल तुम पर ही हूँ निर्भर मेरे सरकार
जग रूठे तुम नहीं रूठना पर मेरे सरकार

(2)

मेरे पास न सोने की थाली पकवान खिलाऊँ
महल न चाँदी का सिंहासन है कब जहाँ बिठाऊँ
कहाँ हैसियत तुम्हें बुलाऊँ घर मेरे सरकार
जग रूठे तुम नहीं रूठना पर मेरे सरकार
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो.9997615451

Loading...